13 सितंबर 2024/ महासमुंद/ ध्वनि प्रदूषण (नियमन एवं नियंत्रण) नियम, 2000 को भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया है, जो 14 फरवरी 2000 से प्रभावी हैं। इस अधिनियम का उद्देश्य ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव को कम करना और सार्वजनिक स्थानों पर इसके अनुशासन को बनाए रखना है। माननीय उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका में 27 अप्रैल 2017 को यह आदेश दिया कि संबंधित अधिकारी ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ और बिना नागरिकों की शिकायत का इंतजार किए सकारात्मक कार्रवाई करें। यह भी निर्देश दिया गया कि नियमों का उल्लंघन होने पर संबंधित अधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। जिसके परिपालन में कलेक्टर विनय कुमार लंगेह ने जिले में ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम हेतु अनुविभागीय अधिकारियों को आदेश पालन करने निर्देश दिए हैँ। शासन द्वारा जारी निर्देश में ’’वाहनों पर साउंड बॉक्स और डी.जे. बजाना प्रतिबंध है, यदि ऐसा पाया जाता है, तो साउंड बॉक्स को जब्त कर लिया जाएगा, और दूसरी बार पकड़े जाने पर वाहन का परमिट निरस्त कर दिया जाएगा। ’’शादियों, जन्मदिनों, धार्मिक सामाजिक और अन्य कार्यक्रमों में आयोजकों से ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन करने के लिए कहा गया है। यदि आयोजक विरोध करते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, साउंड सिस्टम प्रदायकों या डी.जे. संचालकों के उपकरण सीधे जप्त किए जाएंगे। इसी तरह वाहनों में प्रेशर या मल्टी-टोन हॉर्न पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों को उसे तत्काल निकालकर नष्ट करने और अपराधियों का डाटा बेस सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया है। ’’संवेदनशील क्षेत्रों जैसे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, कोर्ट, और कार्यालयों से 100 मीटर की दूरी के भीतर लाउडस्पीकर का उपयोग प्रतिबंधित है। इस नियम का उल्लंघन करने पर ध्वनि प्रदूषण यंत्रों को जब्त किया जाएगा और मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना वापस नहीं किया जाएगा।