22 दिसंबर 2024/ महासमुंद/ जिले का आबकारी विभाग इन दिनो शराब मे मिलावट और लाखो के गबन के मामले खूब सुर्ख़ियों मे है । ताजा मामला महासमुंद नगर मे स्थित शासकीय प्रीमियम विदेशी मदिरा दुकान का है । जहां आबकारी विभाग के जांच मे 36 लाख 90 हजार 790 रुपये के शराब गबन का मामला सामने आया है। आबकारी विभाग ने जांच मे दुकान संचालित कर रहे ईगल हण्टर सोल्यूशन लिमिटेड के चार कर्मचारियों के खिलाफ 3690790 रुपये के शराब के गबन का मामला कोतवाली थाना मे दर्ज कराया।
प्रभारी आबकारी अधिकारी निधिश कुमार कोष्ठी ने बताया कि 17 दिसंबर 2024 को सहायक आबकारी अधिकारी दीपक ठाकुर प्रीमियम विदेशी मदिरा दुकान पर जांच करने पहुंचे और भौतिक सत्यापन मे बैग्पाईपर व्हिस्की की एक पेटी मिली लेकिन 14 और 15 दिसंबर को विक्रय शून्य पाया गया । सहायक आबकारी अधिकारी ने देखा कि स्टाक पंजी मे शराब 373 नग है ,पर दुकान मे 136 नग मौजूद मिला । उसके बाद जांच टीम ने सूक्ष्मता से जांच की तो 1 अप्रैल 2024 से 19 दिसंबर 2024 तक 36 लाख 90 हजार 790 रुपये के शराब का कोई रिकार्ड नही मिला और न ही इतना पैसा बैंक मे जमा किया गया । आबकारी टीम के जांच मे यह भी तथ्य सामने आया कि ब्रांडेड कंपनियो के शराब की उपर रखी पेटियो मे 12 नग शराब की बोतल थी और नीचे की पेटियो मे किसी मे 04 नग शराब की बोतल , तो किसी पेटी 03 नग शराब की बोतल थी । दुकान मे प्रतिदिन 1.25 से 1.50 लाख की सेल थी । कर्मचारी रोजना निर्धारित सेल का पैसा जमा कर देते शेष शराब की बोतलो को बिना स्कैन किये बिक्री कर दिया करते थे और जो पैसा मिलता था उसे आसपास मे बांट लिया करते थे । आर्डिटर जब आता तो शराब की बोतलो की फोटो अपने मोबाइल मे खींच कर रखे रहते थे और आर्डिटर को दिखा देते थे । आर्डिटर भी भौतिक सत्यापन नही करता था ।आबकारी विभाग ने जांच के उपरांत ईगल हण्टर सोल्यूशन लिमिटेड के मुख्य विक्रेता अमित राय , विक्रेता गौरीशंकर सेन , विक्रेता तुकेश दीवान एवं मल्टीपर्पज वर्कर लक्ष्मी नारायण साहू के खिलाफ विधिवत लायसेंस शर्त क्रमांक 07 एवं छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 1915 की धारा 39(ग) के उल्लंघन पर आरोप पत्र देकर विभागीय प्रकरण दर्ज करने के साथ कोतवाली थाना मे गबन व धोखाधड़ी का मामला दर्ज करा दिया है ।
इस पूरे मामले मे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आबकारी विभाग के जांच के आधार पर 03 विक्रेता व 01 मल्टीपर्पज वर्कर के खिलाफ BSN की धारा 3(5) , 316 , 318(3) , 318(4) के तहत मामला दर्ज कर जांच की जा रही है ।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भी इसी प्रीमियम मदिरा दुकान मे आग लग गयी थी और लगभग करोड़ो का शराब जलकर खाक हो गया था और अब लाखो का गबन का मामला सामने आया है । इसके बाद आबकारी विभाग व प्लेसमेंट एजेंसी के कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिह्न उठ रहे है । मसलन 08 माह तक आबकारी विभाग क्या कुंभकर्णी नींद मे सोया था ? आबकारी विभाग की कैसी नियमित जांच थी ,जो मामला का पता नही चला ? प्लेसमेंट एजेंसी के आला अधिकारी क्या निरीक्षण करते थे ? प्रत्येक माह होने वाले ऑडिट रिपोर्ट मे ये मामला क्यो नही आया ?