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6 मार्च 2025 / महासमुंद / जिले के बिरकोनी औद्योगिक क्षेत्र में संचालित पांचजन्य फूड प्रोडक्ट्स प्रा. लि. में काम कर रहे एक आदिवासी युवक हादसे का शिकार हो गया। मशीन में हाथ आ जाने से तीन उंगलियां कट गयी। मेनेजमेंट ने इसकी जानकारी किसी को नही दी। पुलिस , श्रम विभाग हेल्थ एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट से पूरी घटना को छिपाये रखा। युवक का इलाज महासमुंद के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। जिस यूनिट में यह हादसा हुआ वो अवैध रूप से संचालित किया जा रहा था।

बिरकोनी इंडस्ट्रियल एरिया में चल रहे पांचजन्य फूड प्रोडक्ट्स प्रा. लि. में मिक्सचर बनाया जाता है। 2 अप्रैल की दोपहर करीब 3 बजे पिथौरा ब्लॉक धनोरा निवासी हिमांशु दीवान पिता नेतराम दीवान (20) इस फेक्ट्री के दूसरे यूनिट बोरे में बेसन भरने का काम कर रहा था। मशीन बार बार बंद चालू हो रहा था, जिसके चलते बेसन फस रहा था। ऑपरेटर ने युवक को टैंक को ठोकने को कहा, मशीन फिर बंद हो गया तो युवक ने हाथ से बेसन साफ करने लगा तो अचानक मशीन चल पड़ी और बाये हाथ की तीन उंगलियां कट गई। मेनेजमेंट ने आनन-फानन में मोटरसाइकिल में बैठकर निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। जहां युवक का इलाज चल रहा है। मेनेजमेंट ने पुलिस को भी जानकारी देना जरूरी नहीं समझा।

मिक्सचर फैक्ट्री का मैनेजमेंट एक लाइसेंस पर 2-2 यूनिट चला रहे हैं। सेकेंड यूनिट के फोलर मिल में जिस जगह घटना घटी है वो अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है। इस यूनिट को पर्यावरण क्लीयरेंस, डेट ऑफ प्रोडक्शन
(डीओपी), फायर सेफ्टी NOC अबतक नहीं मिली है। लेकिन मैनेजमेंट ट्रायल के नाम पर कई महीनों से उत्पादन कर रहे हैं।

उद्योगों में लगातार हो रहे हादसा के बावजूद हेल्थ एंड सेफ्टी, श्रम और उद्योग विभाग आंखें बंद करके बैठी है। मिक्सचर फेक्ट्री में हुए हादसे के एक दिन बाद यानी 3 अप्रैल को जिला प्रशासन की एक संयुक्त टीम 500 मीटर दूर मनोरमा इंडस्ट्रीज का निरीक्षण करने पहुंचे थे लेकिन इस टीम को कुछ दूरी पर हुए हादसे की भनक तक नहीं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासन की जिला स्तरीय टीम कैसे जांच करती होगी।

इस फैक्ट्री ने श्रम विभाग से 20 मजदूरों का लाइसेंस लिया है लेकिन 35 मजदूरों से काम ले रहे हैं। यहां 20 कर्मचारी बताकर सिर्फ 11-12 लोगों का ही पीएफ अकाउंट है। ऐसे ही ईएसआई में रजिस्ट्रेशन कराया गया है।

सरकारी नौकरी पाने की चाहत में डीएड कर चुके हिमांशु दीवान ने बताया कि पढ़ाई के साथ कुछ काम कर के घर के लिए आर्थिक सहायता देने के लिए मिक्सचर फैक्ट्री में पिछले 15 दिनों से काम कर रहा है। 12 घंटे का 10300, 8 घंटे का 7500 मजदूरी दिया जाता है। मेनेजमेंट इलाज करा रहे हैं। मुआवजा के लिए कुछ भी नहीं बताया है। उसने बताया कि एक छोटा भाई, माता -पिता और दादा -दादी है। बड़े होने के कारण घर की जिम्मेदारी मुझ पर ज्यादा है।

फैक्ट्री के मैनेजर आर. सूर्य नारायण से पूछने पर बताया कि पर्यावरण क्लीयरेंस, डेट ऑफ प्रोडक्शन (डीओपी), फायर सेफ्टी NOC अभी नहीं मिली है। श्रम विभाग से 20 मजदूरों का लाइसेंस है लेकिन अभी 35 मजदूर काम कर रहे हैं। सिटी कोतवाली प्रभारी शरद दुबे का कहना है कि फैक्ट्री के मैनेजमेंट ने हादसे की कोई भी जानकारी नहीं दी है। हादसा हुआ है तो कार्रवाई करेंगे।

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