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13 जनवरी 2025/ महासमुंद/ महर्षि विद्या मंदिर विद्यालय मचेवा के प्रांगण में वार्षिक उत्सव एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया । कार्यक्रम संस्था के अध्यक्ष ब्रम्हचारी गिरीश वर्मा एवं प्राचार्य आरके तिवारी के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा , अध्यक्षता भाजपा के जिला अध्यक्ष येतराम साहू , विशिष्ट अतिथि स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो.डॉ. अनुसूईया अग्रवाल (डि.लीट), संदीप दीवान , श्रीमती किरण डीडी एवं आनंदराम साहू रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत में संस्था के प्राचार्य आरके तिवारी एवं समस्त अतिथि गणों द्वारा विधिवत रूप से सरस्वती वंदना एवं गुरु वंदना के साथ दीप प्रज्वलित कर देवी सरस्वती , महर्षि महेश योगी जी एवं स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा में माल्यार्पण कर इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसके पश्चात राज्यकीय गीत अरपा पैरी के धार के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। संस्था के प्राचार्य आर के तिवारी ने अपने उद्बोधन मे कहा कि 12 जनवरी 2025 को हम महर्षि महेश योगी जी का 108 वां जन्मदिन मना रहे हैं । महर्षि महेश योगी जी ने अपने जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता विश्व शांति और मानसिक विकास के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है। अपनी विश्व यात्रा की शुरूआत 1959 में अमेरिका से करने वाले महर्षि योगी के दर्शन का मूल आधार था, ‘जीवन परमआनंद से भरपूर है और मनुष्य का जन्म इसका आनंद उठाने के लिए हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति में ऊर्जा, ज्ञान और सामर्थ्य का अपार भंडार है तथा इसके सदुपयोग से वह जीवन को सुखद बना सकता है।’ वर्ष 1990 में हॉलैंड के व्लोड्राप गाँव में ही अपनी सभी संस्थाओं का मुख्यालय बनाकर वह यहीं स्थायी रूप से बस गए और संगठन से जुड़ी गतिविधियों का संचालन किया। दुनिया भर में फैले लगभग 60 लाख अनुयाईयों के माध्यम से उनकी संस्थाओं ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति और प्राकृतिक तरीके से बनाई गई कॉस्मेटिक हर्बल दवाओं के प्रयोग को बढ़ावा दिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा ने भी महर्षि महेश योगी जी एवं स्वामी विवेकानंद जी के जन्मोत्सव की बधाई देते हुए उनके जीवन कार्यों पर प्रकाश डाला और सभी को उनके जीवन के अद्भुत कार्यों को बताया। उन्होने कहा कि महर्षि महेश योगी (निधन 5 फरवरी 2008) का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम महेश प्रसाद था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की उपाधि अर्जित की। उन्होंने तेरह वर्ष तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की। महर्षि महेश योगी ने शंकराचार्य की मौजूदगी में रामेश्वरम में 10 हजार बाल ब्रह्मचारियों को आध्यात्मिक योग और साधना की दीक्षा दी।

विशिष्ट अतिथि प्रो.डॉ. अनुसूईया अग्रवाल (डि.लीट) ने कहा कि हिमालय क्षेत्र में दो वर्ष का मौन व्रत करने के बाद सन् 1955 में उन्होने टीएम तकनीक की शिक्षा देना आरम्भ की। सन् 1957 में उन्होंने टीएम आन्दोलन आरम्भ किया और इसके लिये विश्व के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। महर्षि महेश योगी द्वारा चलाये गए आंदोलन ने उस समय जोर पकड़ा जब रॉक ग्रुप ‘बीटल्स’ ने 1968 में उनके आश्रम का दौरा किया। इसके बाद गुरुजी का ट्रेसडेंशल मेडिटेशन अर्थात भावातीत ध्यान पूरी पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय हुआ।ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन अर्थात् भावातीत ध्यान (या टीएम) एक मन्त्र है, जो शान्त मुद्रा में दोहराए गए मन्त्र के ऊपर ध्यान केन्द्रित करके आन्तरिक शान्ति और आत्मिक नवीनीकरण प्राप्त करने की एक तकनीक है। जब मन “स्थिर हो जाता,” अभ्यासकर्ता विचार से “परे” चले जाने में सक्षम हो जाता है और परम सुख और निस्तब्धता की एक मूक अवस्था में प्रवेश करता है।

 

कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के शिक्षक नंदकुमार साहू एवं रत्नेश तिवारी द्वारा किया गया। गुरु परंपरा को विधिवत रूप से पूजन का कार्य विद्यालय के शिक्षक सुभाष पांडे एवं संदीप शर्मा द्वारा किया गया इसके बाद कार्यक्रम को विधिवत रूप से संचालित करने के लिए श्रीमती अर्चना गोतमारे एवं अन्य शिक्षकों ने भी अपना भरपूर योगदान दिया।कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते संस्था के प्रमुख प्राचार्य आरके तिवारी के पिताजी 85 वर्षीय भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे जो सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत के समान सभी को प्रकाशित कर रहे थे।

 

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