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16 जनवरी 2025/ महासमुंद/राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना केन्द्र उज्जैन के द्वारा विवेकानंद जयंती के अवसर पर 12 जनवरी 2025 को अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी “स्वामी विवेकानंद : भारत का सांस्कृतिक जागरण और उनके सपनों का भारत” पर केंद्रित थी। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल थे। मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा थे। अध्यक्षता ब्रजकिशोर शर्मा ने की। विशेष अतिथि प्रो डॉ अनुसुइया अग्रवाल डी लिट् प्राचार्य स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय महासमुंद छत्तीसगढ़ सहित ओस्लो नॉर्वे के वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, डॉ जया सिंह, डॉ प्रभु चौधरी ने भी विचार व्यक्त किए।

विशेष अतिथि के रूप में प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद एक महान विचारक, समाज सुधारक, और आध्यात्मिक गुरु थे, जिन्होंने भारतीय समाज और विश्व को अपने विचारों और कार्यों से प्रभावित किया। विवेकानंद जी के विचार और कार्य भारतीय समाज और विश्व को प्रभावित करने वाले थे। उन्होंने अपने विचारों को शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में प्रस्तुत किया, जहां उन्होंने हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व किया। उनका जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रमु्ख कारण उनका दर्शन, सिद्धांत, अलौकिक विचार और उनके आदर्श हैं जिनका उन्होंने स्वयं पालन किया और भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी उन्हें स्थापित किया। उनके ये विचार और आदर्श युवाओं में नई शक्ति और ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। उनके लिए प्रेरणा का एक उम्दा स्त्रोत साबित हो सकते हैं।

मुख्य वक्ता डॉ शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने दशकों पहले भारत के व्यापक सामाजिक परिवर्तन का सपना देखा था। उन्होंने गहरी अध्यात्म निष्ठा के साथ समाज की जड़ता को समाप्त करने का आह्वान किया। वे समाज में व्याप्त रोगों को समाप्त करने के लिए उन्हें जड़ से समाप्त करने का आह्वान करते हैं।
इस आयोजन में शामिल मुख्य अतिथि डॉ हरिसिंह पाल ने अपने उद्बोधन में कहा स्वामी विवेकानन्द का शिकागो में दिया गया भाषण ऐतिहासिक दृष्टि महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ। इसके लिए उन्हें बहुत कम समय दिया गया था। उन्होंने उस सीमित समय में अपनी पह‌चान स्थापित की।

विशिष्ट अतिथि डॉ सुरेश चन्द्र शुक्ल नार्वे ने दुनिया के विभिन्न देशों में स्वामी विवेकानंद के बढ़ते प्रभाव की चर्चा की। अध्यक्षीय भाषण डॉ व्रजकिशोर शर्मा ने दिया।

डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक रायपुर ने कहा कि युवाओं को स्वामी विवेकानंद के कार्यों से प्रेरणा लेना चाहिए जिन्होंने अल्पायु में गेरुआ वस्त्र धारण कर अध्यात्म साधना के साथ समाज निर्माण के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया था। डॉ. जया सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी योग को महत्व दिया करते थे।

अतिथि परिचय डॉ शहनाज शेख महाराष्ट्र ने दिया तथा स्वामी विवेकानन्द के योगदान की चर्चा की।

श्रीमती श्वेता मिश्रा ने संगोष्ठी का संचालन करते हुए कहा कि हमें याद रखना होगा कि उठो जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ। सबके प्रति आभार प्रदर्शन डॉ प्रभु चौधरी महासचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवा सहित साहित्य प्रेमीगण जुड़े थे।

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