



5 नवबंर 2025/छत्तीसगढ़ राज्य के वरिष्ठ नागरिको , दिव्यांगजनो ,विधवा एवं परित्यक्ता महिलाओं को उनके जीवनकाल में एक बार राज्य से बाहर स्थित विभिन्न निर्धारित तीर्थ स्थलों की नि:शुल्क यात्रा के लिए सरकारी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरु की गयी मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना महासमुंद जिले में भाजपा तीर्थ दर्शन योजना बनकर रह गयी है ।इसका उदाहरण हाल ही में योजना के तहत यात्रा में भेजे गये लोगो के सूची से सामने आया है । जहां सत्तापक्ष का फायदा लेकर शहरी क्षेत्र के भाजपा के पार्षद , पदाधिकारी एवं उनके परिजन नियम विरुद्ध सहयोगी व एपीएल के तहत यात्रा का लाभ लिये है । अब कांग्रेस जहां भाजपा पर गंभीर आरोप लगा रही है , तो वही भाजपा इसे मिथ्या बताते हुवे जानकारी लेने की बात कह रही है और समाज कल्याण विभाग के आला अधिकारी अब जांच कराने का रटारटाया राग अलाप रहे है ।
समाज कल्याण विभाग ने मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत प्रयागराज , काशी विश्वनाथ हनुमान मंदिर दर्शन के लिए महासमुंद जिले से 323 लोगो का एक जत्था 27 अक्टूबर को रवाना किया था ,जो दर्शन कर 31 अक्टूबर को वापस आ गये । 323 लोगो मे से 19 लोग वरिष्ठजनो के सहयोगी के तौर पर गये थे । महासमुंद नगरपालिका क्षेत्र से 37 लोगो को तीर्थ दर्शन के लिए भेजा गया था , जिसमें से 12 लोग वरिष्ठजनो के सहयोगी के तौर पर गये थे , जिसमें भाजपा के पार्षद , पूर्व पार्षद, पार्षद की पत्नी , पार्षद का भाई व रिश्तेदार या फिर भाजपा के सदस्य शामिल थे । शासन के नियमानुसार सहयोगी के तौर पर वही लोग जा सकते है ,जिसकी उम्र 20 वर्ष से 50 वर्ष के बीच हो एवं उस वरिष्ठजन के परिवार के हो ,जिसे फार्म में दर्शाना होता है कि उनका रिश्ता उनसे क्या है और वरिष्ठजनो को एवं सहयोगी को पहले से आवेदन देना होता है । जिसकी जांच संबंधित नगरीय निकाय व जनपद के अधिकारियों को नियम के अनुरुप करनी होती है ,पर यहां नियमों की धज्जियां उड़ाते हुवे भाजपा के लोगो को जिनकी उम्र 51 , 53 , 56 , 58 आदि वर्ष है उन्हे सहयोगी बनाकर या फिर शहरी एपीएल के तहत भेज दिया गया ,जो नियम विरुद्ध है । इस पूरे मामले मे कांग्रेस के जिलाध्यक्ष डा रश्मि चन्द्राकर भाजपा पर आरोपो की झड़ी लगाते हुवे कहा कि मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना गरीबों के लिए निकाली गयी है ,जो अब भाजपा यात्रा बन चुकी है ।
इस पूरे मामले में भाजपा जिलाध्यक्ष एतराम साहू ने बताया कि कांग्रेस का आरोप मिथ्या है इस पूरे मामले की जानकारी ली जायेगी ।
समाज कल्याण विभाग की परिवीक्षा अधिकारी सुनीता तिर्की इस पूरे मामले मे अब संज्ञान में आने की बात करते हुवे जांच कराने की बात कह रही है ।
गौरतलब है कि शासन के गाइड लाइन के आधार पर सूची तैयार कर जनपद व नगरीय निकाय को सूची समाज कल्याण को देनी थी । नगरीय निकाय ने मनमानी व नियमो की धज्जियां उडाते हुवे सूची तैयार कर समाज कल्याण को भेजी और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी- कर्मचारियों के द्वारा नियमों के आधार पर सूची का परीक्षण नही करना कहीं न कही पूरी प्रक्रिया पर एक प्रश्नचिह्न लगाता है । बहरहाल देखना होगा कि मामले में आखिर जांच क्या होती है और किन पर कार्यवाही होती है ।

