11 जून 2025/ महासमुंद/ ग्रामीण क्षेत्र में पलायन रोकने एवं गांव में ही सौ दिवस का रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से शुरु की गयी महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत मजदूरी करने के 07 साल तक मजदूरी का पैसा न मिले तो गरीब ग्रामीण आखिर क्या करें और कहां जाये । ऐसा ही एक मामला महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत नवागांव एवं उसके आश्रित गांव झिलमिला मे सामने आया है । जहां लगभग 60 ग्रामीणों ने तालाब गहरीकरण मे मजदूरी की , पर आज तक न ही मजदूरी मिली और न ही रोजगार सहायक आज तक उनके जाब कार्ड मे मजदूरी दिवस की इंटरी किया । परेशान ग्रामीण मजदूरी के पैसे के लिए पंचायत कार्यालय से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक मजदूरी दिलाने की गुहार लगा रहे है ,वही आला अधिकारी अब जांच कराने की बात कह रहे है ।
महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत नवागांव एवं आश्रित गांव झिलमिला के लगभग 60 ग्रामीण वर्ष 2018-19 में 9 लाख 76 हजार रुपये से गहरीकरण किये जा रहे नवा तालाब में मजदूरी की ,पर आज तक उन्हें अपने काम की मजदूरी नही मिली । ग्रामीणों का 03 हफ्ते से लेकर 06 हफ्ते की मजदूरी आज तक नही मिली । 210 रुपये प्रति दिवस के हिसाब से 4410 रुपये से लेकर 8820 रुपये मजदूरी बाकी है । ग्रामीण रोजगार सहायक से जब भी मजदूरी मांगते है तो जवाब मिलता है कि खाते मे चला गया है और ग्रामीण जब बैंक जाकर पता करते है तो पेमेंट नही आया रहता है । विडम्बना है कि मुफ्त में बनने वाले जाॅब कार्ड के लिए भी रोजगार सहायक ने ग्रामीणों से 200-200 रुपये लिये है । परेशान ग्रामीण सुमित्रा बाई , अमरावती ने बताया कि सात सालो से मजदूरी का पैसा नही मिला है इसलिए कलेक्टर के पास आये है ।
इस पूरे मामले मे जिला पंचायत के सीईओ एस आलोक ने बताया कि जन दर्शन मे शिकायत मिली है ,जिसकी जांच कराई जायेगी और सही पाये जाने पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी ।
गौरतलब है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 15 दिवस में ग्रामीणों को उनके खाते मे मजदूरी का भुगतान कर देना होता है और इसके लिए बकायदा नीचले स्तर से उपर स्तर तक निगरानी होती है । उसके बावजूद 07 साल तक ग्रामीणों को मजदूरी न मिलना पूरे सिस्टम पर एक प्रश्नचिह्न ? है । बहरहाल अब देखना होगा कि आखिर जांच कब तक होती है और ग्रामीणों को मजदूरी कब तक मिलती है साथ ही दोषियों पर क्या कार्यवाही होती है ।