23 जून 2025/ महासमुंद/ स्कूल खुलते ही शिक्षा विभाग की पोल खुलकर सामने आ गयी । कहीं स्कूल युक्तियुक्तकरण को लेकर , कही शिक्षक को लेकर और कहीं स्कूल भवन जर्जर को लेकर लोग कलेक्टर व शिक्षा विभाग के आला अधिकारी कार्यालय के चक्कर , पालक व शाला समिति के लोग लगाना शुरु कर दिये है । ताजा मामला शासकीय प्राथमिक शाला खमतराई का है जहां स्कूल भवन अति जर्जर हो चुका है । जिसमें कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है । प्रधान पाठक , पालक , शाला समिति के पदाधिकारी पिछले तीन सालो से नये भवन की मांग कर रहे है ,पर आज तक नये भवन की स्वीकृति नही मिली और बच्चे उसी भवन में पड़ने को मजबूर है ।
दीवारों में दरारे , छत का प्लास्टर टूटा हुआ , दीवारों में सीपेज और उसी भवन में पड़ते बच्चे , दरअसल ये नजारा शासकीय प्राथमिक शाला खमतराई का है । जहां पहली से लेकर पांचवीं तक के 72 बच्चे पढ़ाई करते है । इस स्कूल भवन का निर्माण वर्ष 2003-04 मे हुआ था । 21 – 22 वर्ष बाद इस भवन के दीवारों में दरारे पड़ चुकी है । पूरा भवन जगह – जगह से क्रेक हो चुका है । छत का प्लास्टर जगह- जगह से गिर रहा है । बरसात में पानी टपकता है और बच्चे इसी भवन में पढ़ने को मजबूर है । पालक , शाला प्रबंधन समिति के पदाधिकारी एवं प्रधान पाठक पिछले तीन वर्षो से यथा स्थिति से उच्च अधिकारियों को अवगत कराते हुवे नये भवन की मांग कर रहे है ,पर आज तक नया भवन नही बना और नौनिहाल इसी अति जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर है ,जिसमें कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है । छात्र राहुल पटेल , कुंवर साहू ने बताया कि स्कूल भवन काफी जर्जर हो चुका है और बरसात में पानी टपकता है ,जिससे हम छात्रों को परेशानी होती है ।
इस पूरे मामलें में विधायक प्रतिनिधि दिलीप ध्रुव एवं प्रधान पाठक शोभाराम साहू ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से आला अधिकारी को लिखित में जानकारी दे रहे है ,पर अभी तक कोई व्यवस्था नही हुआ है । एक हफ्ते बाद सामूहिक भवन में बच्चों की पढ़ाई करायी जायेगी ।
जिलें में प्राथमिक स्कूल 1276 , मिडिल स्कूल 492 एवं हाई व हायर सेकेंडरी स्कूल 188 कुल 1956 स्कूल है । जिनमें से 374 स्कूल भवन जर्जर , अति जर्जर एवं मरम्मत योग है और उसमें भी 45 स्कूल भवन तो अति जर्जर है ,जिसे डिस्मेंटल करना है । इसी डिस्मेंटल स्कूल भवनों मे से एक है शासकीय प्राथमिक शाला खमतराई का स्कूल भवन । इसे लेकर मीडिया ने जब जिला शिक्षा अधिकारी विजय कुमार लहरे से सवाल किया तो उनका कहना है कि स्कूल खुलने से पहले ही वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए बोला जा चुका है । उसके बाद भी वैकल्पिक व्यवस्था नही की गयी है तो मै दिखवाता हूँ ।
गौरतलब है कि तीन वर्षों से अति जर्जर होने के बावजूद भी बच्चों को उसी भवन में पढ़ाया जाना पूरे शिक्षा सिस्टम पर एक प्रश्नचिह्न लगाता है । बहरहाल ग्रामीण अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए स्वयं आगे आते हुवे सामुदायिक भवन को पढ़ाने के लिए दे रहे है ,पर उसमें भी समस्या है कि बच्चों का मध्याह्न भोजन कहां बनेगा और बच्चे शौचालय कहां जायेगे ।