23 अगस्त 2024/ महासमुंद/ आप ने धान के कई किस्म देखे होगे और उनके विशेषताओं के बारे जानते होगे ,पर आज हम एक ऐसे धान के किस्म से आप को रुबरु करा रहे है जिसे संजीवनी धान कहते है । इस संजीवनी धान की खासियत है कि इसके सेवन करने से मानव के शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और साथ ही साथ कैंसर कोशिकाओं की रोकथाम मे भी उपयोगी होती है । जहां कृषि वैज्ञानिक इसे किसानो के लिए काफी उपयोगी बताते हुवे किसानो की आय दुगनी करने मे सहायक मान रहे है ,वही इस संजीवनी धान को लगाने वाला किसान भी इस धान की विशेषता बताते नही थक रहे है ।
इंदिरा गांधी विश्व विद्यालय रायपुर के कृषि वैज्ञानिको ने एक ऐसे धान की प्रजाति की खोज की है जिसे खाने से मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मे वृद्धि के साथ कैंसर जैसी बीमारियो के रोकथाम मे भी काफी सहायक साबित होगी । कृषि वैज्ञानिक डा दीपक शर्मा ने बताया कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय मे एक नयी किस्म के धान की खोज की है ,जिसे संजीवनी धान के नाम से जानते है । इस किस्म के धान मे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने का गुण है । इस धान के चावल के सेवन से विभिन्न रोगो से लड़ने की क्षमता बढती है । ये एक सुगंधित किस्म का धान है । जिसके अन्दर फाइटोकेमिकल्स , एंटीऑक्सीडेंट , एंटी कैंसर के गुण है । इससे किसान स्वस्थ्य तो होगा ही साथ ही किसान की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी ।
महासमुंद मुख्यालय के समीप ग्राम कौंदकेरा के खेत मे ये संजीवनी धान लहलहा रही है । प्रयोगात्मक तौर पर इसे अंचल के प्रगतिशील किसान योगेश्वर चन्द्राकर ने मात्र एक एकड़ मे लगाई है । वे प्राकृतिक तरीके से इसका उत्पादन ले रहे है । किसान योगेश्वर ने बताया कि जिले मे इसका पहला प्रयोग है । आज इसकी लम्बाई 3 फीट के करीब है । वे गोबर ,पत्तो से बनी खाद का उपयोग कर इसका उत्पादन ले रहे है । एक एकड़ मे करीब 14 किलो बीज का उपयोग किये है और खर्चा लगभग 15 से 20 हजार रुपये आयेगा । इसमे 15 से 20 क्विंटल उत्पादन होने की उम्मीद जता रहे है । इसे केवल दस दिनो तक उपयोग करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मे वृद्धि देखी गयी है ।
गौरतलब है कि किसान योगेश्वर इसके पहले भी ब्लैक राइस , रेड राइस , ग्रीन राइस, काली मूली , नीला आलू आदि का उत्पादन कर चुके है । योगेश्वर का ये भी मानना है कि इस तरह के धान के किस्म की खेती करने से किसानो की आय मे काफी बढोत्तरी होगी ।